Monday, April 20, 2009

सांसो का पिंजरा किसी दिन टूट जायेगा
फिर मुसाफिर किसी राह में छूट जायेगा
अभी साथ है तो बात कर लिया करो
क्या पता कब साथ छूट जायेगा
क़यामत तक तुझे याद करेंगे
तेरी हर बात पर एतरार करेंगे
रेत की जरूरत रेगिस्तान को होती है,
सितारों की जरूरत आसमान को होती है,
आप हमें भूल जाना, क्योंकी
दोस्त की जरूरत हर इंसान को होती है...
ऐसा दोस्त चाहिए जो हमे अपना मान सके,
जो हमारे दिल को जान सके,
चल रहे है हम तेज़ बारिश मे,
फिर भी पानी मे से आँसुओ को पहचान सके!!!!
ख़ुश्बू की तरह मेरी सांसो मे रहना
लहू बनके मेरी नसनस मे बहना,
दोस्ती होती है रिश्तो का अनमोल गेहना
इसलिए इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहना...!!!

6 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

जीवन के बहुत करीब रचना है।बहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।
सांसो का पिंजरा किसी दिन टूट जायेगा
फिर मुसाफिर किसी राह में छूट जायेगा
अभी साथ है तो बात कर लिया करो
क्या पता कब साथ छूट जायेगा

अभिषेक मिश्र said...

अभी साथ है तो बात कर लिया करो
क्या पता कब साथ छूट जायेगा
Kya baat hai!
Swagat blog parivar mein.
(Pls remove unnecessary word verification).

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan narayan narayan

Anonymous said...

आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं

shama said...

"Baarish mebhee jo aansoo pehchaan sake...!"
Sach gar aisa dost, aisa hamraah mile to har rasta,har safar tay ho jayega...jata hai...
Anek shubhkamnayen!

रचना गौड़ ’भारती’ said...

सुन्दर कविता