मुझे खबर थी कि वो मेरा नहीं पराया था,
पर धड़कन ने उसी को खुदा बनाया था!
मैं ख्वाबों-खाब जिसे ढूंढता फिरा बरसों,
वो अश्क अश्क मेरी रूह में समाया था !!
तेरा कुसूर नहीं जान मेरी तन्हाई,
ये रोग मैने ही खुद जान को लगाया था!
तमाम शहर में एक वो हैं अजनबी मुझसे,
कि जिसने गीत मेरा शहर को सुनाया था!!
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